THE SMART TRICK OF SHIVA CHALISA LYRICS THAT NO ONE IS DISCUSSING

The smart Trick of shiva chalisa lyrics That No One is Discussing

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नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख more info होई।।

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

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